क्या देश
भयंकर आर्थिक मंदी- Recession
की चपेट में हैं..? शेयर बाजार में एक महीने में निवेशकों
के 13 लाख करोड़ डूबे, ऑटो सेक्टर 19 साल के सबसे बुरे दौर में, बेरोजगारी 45 साल में सबसे ज्यादा
चुनाव से पहले आर्थिक मंदी से जुडी सभी खबरों
को नकारने वाली मोदी सरकार भी अब मानने लगी है. की देश में आर्थिक मंदी का माहौल
पिछले एक साल से जारी है. हाल में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी और निजी बैंको और वित्तीय
संस्थानों के प्रमुखों के साथ वार्ता में खुद माना, देश में पिछले एक साल में आर्थिक मंदी का जो दौर चल रहा है.
उसमे और तेज़ी आती रही है. इसका देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. और
जल्द ही देश को इस आर्थिक हालात से निकालना जरुरी है.
- रोहित गंगवार (बैंकर)
WWW.INDIANPSUBANK.IN: देश के तमाम अर्थशास्त्री आम चुनाव के पहले
से देश की सुस्त अर्थव्यवस्था - ECONOMY का ज़िक्र कर रहें
हैं. लेकिन तब उन्हें देश की मेन स्ट्रीम मीडिया ने ज्यादा तवज्जो नहीं दी. यहाँ
तक की मीडिया ने NSSO
के उन आकडो को भी तवज्जो नहीं दी जो 1950 से, देश
में बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े जारी करती आ रही है. NSSO
के इन्हीं आकड़ो के मुताबिक देश में बेरोजगारी की दर
पिछले 45
साल में सबसे ज्यादा हो गई है.
लेकिन यह आम चुनाव में मुद्दा नहीं बन सका. और मोदी सरकार एकबार फिर भारी बहुमत से
सत्ता में आ गई।
मोदी सरकार और देश के तमाम अर्थशास्त्री यह उम्मीद कर रहे
थे. की आम बजट - BUDGET के बाद देश के आर्थिक हालात बदलेंगे। और अर्थव्यवस्था - ECONOMY में जो सुस्ती आयी है , वो बजट - BUDGET के बाद रफ़्तार में बदल जाएगी। लेकिन आम बजट - BUDGET के बाद इसके एकदम उलट होता दिखाई पड़ रहा है. और भले ही सरकार इसे
सार्वजनिक रूप से ना माने। लेकिन खुद RBI गवर्नर का वयान सरकार की चिंता को उजागर कर रहा है.
शेयर
मार्किट में बजट - BUDGET के बाद 1
महीने में डूबे 13 लाख करोड़
मोदी सरकार के बजट - BUDGET से सभी भारी उम्मीद लगाए बैठे थे. शेयर मार्किट से लेकर एक आम नागरिक तक
को यह उम्मीद थी, की इस बार के बजट - BUDGET में जरूर कुछ ऐसे प्रावधान होंगे जिससे मंदी-Recession की ओर जाती देश की अर्थव्यवस्था - ECONOMY को
रफ्तार मिलेगी। लेकिन बजट - BUDGET के 1 महीने बाद के जो आर्थिक हालात हैं,
उनसे नहीं लगता की मोदी सरकार का बजट - BUDGET Share Market या आम लोगो के मुताबिक रहा है. क्योंकि सिर्फ एक महीनें में ही बम्बई
स्टॉक एक्सचेंज में निवेशकों के 13 लाख करोड़ डूब चुके हैं. 50% से ज्यादा शेयर डबल डिजिट तक टूट चुकें हैं. बम्बई शेयर
बाजार के टॉप-500 शेयर में से 283 शेयर डबल डिजिट तक टूट चुके हैं.
टैक्स
में बढ़ोतरी से बढ़ी निराशा
हाल ही में RBI के पूर्व गवर्नर विमल जालान ने अपने स्टेटमेंट में
कहा था,
देश में बढ़ते टैक्स की वजह से
लोग कम टैक्स के लालच में अपना पैसा विदेश ले जाने लगेंगे। जो देश की अर्थव्यवस्था - ECONOMY के लिए अच्छा नहीं होगा। आपको बता दें,
सरकार ने 5 जुलाई 2019 को पेस आम बजट - BUDGET 2019 में सरकार ने सालाना 2 करोड़ से 5 करोड़ कमाने वालो पर टैक्स की दरों में बढ़ोतरी की थी.
Automobile
Sector पिछले 19 साल
के सबसे बुरे दौर में
जून 2019 के आंकड़ों के मुताबिक देश का Automobile Sector पिछले 19 साल में अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. Automobile Sector की हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है.की देश की सबसे बड़ी कार
निर्माता कम्पनी Maruti Suzuki की जुलाई में सेल 36% तक गिर गयी है. और यह हाल सिर्फ Maruti Suzuki का नहीं है. देश की दूसरी सबसे ऑटो मेकर Mahindra and Mahindra ने हाल में माँग और उत्पादन में संतुलन लाने के लिए अपने सभी सयंत्र 8-14 दिनों तक के लिए बंद करने का एलान किया है. जाहिर है इससे बड़े पैमाने पर बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न
होगी। हाल ही में वित्त मंत्री के साथ मीटिंग में Automobile Sector के लोगो ने वित्त मंत्री से स्पेशल पैकेज की
मांग की थी.
देश के Automobile
Sector में मंदी - Recession का असर बैंकिंग
इंडस्ट्री पर भी पड़ना तय है. क्योंकि यह बैंक ही नए कार खरीदने वालो को लोन देती
है. जिससे बड़ी मात्रा में बैंको बिज़नेस मिलता है.
रियल
एस्टेट की हालत भी खस्ता
देश के रियल एस्टेट के हालत भी बदतर है. बड़ी संख्या ने रियल
एस्टेट कंपनियां दिवालिया हो चुकी हैं. या फिर दिवालिया होने की कगार पर हैं.
हालात यह हैं की देश के 30 बड़े शहरों में 12.75 लाख मकान बनकर तैयार हैं. लेकिन उनका कोई खरीददार ही नहीं है. नोटबंदी और GST
की मार सबसे ज्यादा
इसी सेक्टर पर पड़ी थी. जैसे
तैसे यह सेक्टर मंदी - Recession से बाहर निकल ही था. लेकिन मकान
न बिकने से रियल एस्टेट कारोबारी भारी कर्ज में फसतें जा रहें हैं. जिससे इस
सेक्टर में लगातार लोगो की नौकरियां जा रहीं हैं.
राजकोषीय
घाटे - Fiscal Deficit पर
गुमराह कर रही सरकार
आम बजट - BUDGET में सरकार ने राजकोषीय घाटे - Fiscal Deficit को 3.4 फीसदी
बताया। लेकिन CAG ने इस आंकड़े पर सवाल उठाएँ हैं. दरअसल सरकार ने बजट - BUDGET में राजकोषीय घाटे - Fiscal
Deficit को कम दिखाने के लिए जबरजस्त तरीके से ऑफ-बजटिंग की
है. ऑफ-बजटिंग उसे कहते हैं, जिनके सरकार बजट - BUDGET से अलग खर्च करती है. CAG के हिसाब से अगर सरकार की ऑफ-बजटिंग को भी राजकोषीय घाटे - Fiscal Deficit में जोड़ लिया जाए तो सरकार का
राजकोषीय घाटा 5.9 फीसदी तक जा सकता है. जो काफी चिंताजनक स्थिति हो सकती है. दरअसल विदेशी निवेशक
देश में निवेश करने से पहले सरकार के राजकोषीय घाटे - Fiscal Deficit को जरूर देखतें हैं. और इसी
आधार पर निवेश का फैसला करतें हैं. जानकारों के मुताबिक सरकार ने विदेशी
निवेशकों के सामने अर्थव्यवस्था - ECONOMY की अच्छी
तस्वीर पेश करने के लिए जानबूझकर राजकोषीय घाटे - Fiscal Deficit के आकड़ो में खेल किया है.
मोदी
समर्थक कॉर्पोरेट में भी निराशा का माहौल
ऐसा नहीं है, की मोदी विरोधी ही अर्थव्यवस्था - ECONOMY के ताज़ा हालात को लेकर चिंतित हैं.
मोदी समर्थक कॉर्पोरेट भी अब मोदी सरकार की नीतियों को लेकर मुखर होने लगा है. बजाज
ऑटो के चेयरमैन राजीव बजाज ने देश के ऑटो सेक्टर पर तंज कसते हुए कहा,
"जब देश का ऑटो
सेक्टर संकट में है, तब सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की बात कर रही है."
HDFC
बैंक के चेयरमैन भी कह चुके हैं देश की अर्थव्यवस्था - ECONOMY सुस्त है,
और लगातार कर्ज संकट
बना हुआ है. राजीव बजाज के पिता
राहुल बजाज ने देश की अर्थव्यवस्था - ECONOMY पर सवाल उठाते हुए कहा,"ना मांग है, न कोई निजी निवेश हो रहा है,
तो ग्रोथ कहाँ से
आएगी। ग्रोथ स्वर्ग से तो टपकेगी नहीं।"
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