Baroda
UP Gramin Bank (BUPGB) में सफाईकर्मियों के लिए बड़ी खबर- अब
सफाईकर्मियों का कटेगा पीएफ, बैंक
नहीं कह सकता यह हमारे कर्मचारी नहीं
Baroda UP Gramin Bank (BUPGB) में समाहित हो चुके ग्रामीण बैंको सुलतानपुर
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, प्रतापगढ़ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक,
बरेली क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (Gramin Banks) में दो दसक से पार्ट टाइम कर्मचारी के रूप में काम
कर रहे सफाई कर्मचारियों (Cleaners)
के शोषण के खिलाफ न्याय
की एक बड़ी जंग में मंगलवार 21
जनवरी को जीत हासिल
हुई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट
की लखनऊ खण्डपीठ की एक अदालत ने बैंक की 3 अपीलों को एक साथ सुनवाई करते हुए खारिज कर दिया है। अपील
खारिज होने के साथ 3 पूर्ववर्ती ग्रामीण बैंकों के 300 से अधिक अंशकालिक सफाईकर्मियों को 18 साल पीछे से कर्मचारी मान कर पीएफ कटौती करते हुए पूरा पैसा
बैंक को इन कर्मचारियों के पीएफ खातें में
जमा करना होगा।
कैसे
पंहुचा मामला हाईकोर्ट
बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक ( BUPGB ) में समाहित हो चुके सुलतानपुर और
प्रतापगढ ग्रामीण बैंक में शाखाओं पर सफाई का काम करनेवाले अंशकालिक सफाई
कर्मचारियों (Cleaners) की मजदूरी को लकेर इम्पलाइज फेडरेशन द्वारा राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी
आयोग और BANK OF BARODA के समक्ष मामला उठाया गया
जिस पर कार्यवाही करते हुए बंकै आफ बड़ौदा द्वारा अपनी सभी ग्रामीण बैंको (Gramin
Banks) को बैंकिग उधोग में
सम्पन्न होने वाले वेतन समझौते के अनुसार मजदूरी दिये जाने का निर्देश जारी
किया ।
अरेबिया के
तत्कालीन राष्ट्रीय सचिव शिव करन द्विवेदी ने पीएफ कमिश्नर से इन सफाई
कर्मियों (Cleaners) की मजदूरी से पीएफ कटौती न किये जाने की शिकायत दर्ज
करायी। इसी प्रकार से प्रतापगढ़ में अरेबिया पदाधिकारी काम0
शैलेन्द्र सिंह ने पीएफ कमिश्नर को प्रतापगढ़ के बारे में शिकायत भेजी । बरेली क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में कार्यरत
सफाई कर्मचारी नेता काम0 राजेन्द्र
ने भविष्य निधि आयुक्त बरेली को शिकायत भेजी। तीनों मामलों में आयुक्त द्वारा बैंक को नोटिस जारी करते हुए
बैंक का पक्ष सुनने के बाद अपना आदेश जारी किया।
जिसमे बैंक के लिए आदेश जारी किया गया कि बंकै इन
कमर्चारियों को वर्ष 2001 से प्रदान की गयी मजदूरी से पीएफ की राशि पीएफ आफिस में जमा
कराये। लेकिन बैंक ने पैसा जमा कराने के बजाय दिल्ली में अपील दाखिल कर आदेश
स्थगित करा दिया। लेकिन साल भर के अन्दर ही बैंक की अपील खारिज हो गयी जिससे घबड़ा
कर बैंक ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण ली और फिर कमिश्नर के आदेश पर रोक लगवा दी।
दोनों
का अंशदान बैंक को ही ब्याज सहित जमा करना होगा:
पी.एफ. ( PF ) के मामले में नियम इतने सख्त हैं, की यदि कोई
एम्प्लायर समय से कर्मचारियों के पीएफ का पैसा कटौती करके पीएफ आफिस में जमा नहीं
कराता तो उस पर जुर्माना लगाया जाता है. डिफ़ॉल्ट की स्थिति में कर्मचारियों का
अंशदान भी कर्मचारी से न लेकर नियोक्ता को ही जमा करना पड़ता है. और उस पर
दण्डात्मक ब्याज भी अदा करना पड़ता है।
9 साल बाद आया फैसला:
आज जो फैसला आया है उसके लिए इम्पलाइज यूनियन को लगातार 9 सालों तक कोर्ट में इन्तजार करना पड़ा है.
सबसे पहले बैंक द्वारा वर्ष 2011 में सुलतानपुर क्षेत्रीय
ग्रामीण बैंक के 93 सफाई कर्मियों (Cleaners) की पीएफ कटौती
के कमिश्नर के आदेश चुनौती दी. इसी के साथ
प्रतापगढ़ के मामले में दूसरी रिट दाखिल कर उसी प्रकार से स्टे आर्डर लिया गया. दो
साल बाद जब बरेली पीएफ कमिश्नर ने आदेश जारी किया तो बैंक फिर हाईकोर्ट आ गयी और 2011 के अन्तरिम आदेश का हवाला देते हुए समान स्थगनादेश पाने में सफल रही।
यूनियन
अधिवक्ता श्री ओ0पी0पाण्डेय ने मजबूती से रखा कर्मचारियों का पक्ष।
अधिवक्ता ओ0पी0 पाण्डेय ने सबसे पहले बैंक की रिट पर बिन्दुवार
अपना काउण्टर दाखिल किया और कोर्ट से बैंक
के पक्ष में जारी स्थगनादेश को निरस्त
करते हुए फैसला सुनाए जाने की मागं की। जिस पर यह केस 20 जनवरी
के लिए फाइनल हियरिंग के लिए लिस्ट हुआ. जिसमें बैंक और पीएफ कमिश्नर के
अधिवक्ताओं द्वारा कोर्ट के समक्ष अपना
पक्ष रखा गया। यूनियन की ओर से श्री पाण्डेय ने एक दिन की मोहलत मांगी। जिससे वो
केस के बारे में कुक जरुरी तैयारी कर सकें। जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने 21 जनवरी
को सुनवाई का का आदेश जारी किया।
दोनो
पक्षों का दावा यह रहाः
बैंक का पक्ष यह रहा कि उनकी बैंक में सफाई कर्मी का कोई भी
पद नही है, सफाई कर्मी
बैंक के कर्मचारी
नही हैं. यह लोग स्वतंत्र ठेकेदार है इस लिए इन्हे कर्मचारी
नही माना जा सकता है लेकिन पीएफ कमिश्नर ने
बैंक का यह पक्ष नहीं मानकर भूल की
है। बैंक का दूसरा कथन यह था कि बैंको का द्विपाक्षिक समझौता ग्रामीण बैंको (Gramin Banks)पर भी लागू है जिसमें सप्ताह में
6 घण्टे से कम काम करने वाले कर्मचारियों का पीएफ
नहीं काटा जाता है. इसीलिए सफाईकर्मी का काम करने वाले यह कर्मचारी 6 घण्टे से कम काम करने के कारण कटौती के पात्र नहीं हैं.
दूसरी ओर पीएफ कमिश्नर के वकील का कहना था कि ग्रामीण बैंक
पीएफ एक्ट 1952 से कबर है और
इसमें कर्मचारी की परिभाषा में सफाई कर्मी आते हैं अतः इनकी मजदूरी से पीएफ काटना
नियम संगत है।
यूनियन का पक्ष रखते
हुए वरिष्ठ अधिवक्ता श्री पाण्डेय ने कोर्ट को बताया की भारत सरकार ने ग्रामीण बैंको (Gramin Banks)को अभी तक पीएफ एक्ट 1952 से ही कबर कर रखा है। सफाई कर्मी का स्टेटस भारत सरकार द्वारा 22 फरवरी 1991 में प्रायोजक बैंक के समकक्ष कर्मचारी
की भाँति तय किया गया है। ग्रामीण बैंक सेवा नियमावली में पार्ट टाइम सफाई
कर्मचारी सह संदेशवाहक का पद सृजित किया गया है. ऐसे में इन्हें कर्मचारी ना मानना
बैंक की भारी गलती है. इन तर्को से सहमत होते हुए जस्टिस आलोक माथुर ने बैंक की
अपील को खारिज कर दिया जिसके बाद पीएफ कमिश्नर का रिकबरी आदेश फिर जीवित हो गया।अब
देखना यह है कि बैंक का प्रबन्धन न्याय की इस जंग सच के साथ खड़ा होता है. अथवा सच
को झुठलाने के लिए बैंक का लाखों रूपया पानी की तरह बहाने के लिए एक और अपील में
जाता है।
इन रिट याचिकाओं पर आया है फैसलाः
रिट संख्या: 5973 वर्ष 2011 सुलतानपुर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
रिट संख्या: 5974 वर्ष 2011 प्रतापगढ़ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
रिट संख्या: 1290 वर्ष 2013 बरेली क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
फैसला भले इन तीन ग्रामीण बैंको (Gramin Banks)के सफाईकर्मियों के लिए आया है
लेकिन इससे पुरे बैंक के सफाईकर्मियों की पीएफ कटौती का रास्ता साफ़ हो गया है. और
अब भविष्य में सफाईकर्मियों की किसी भी जायज मांग को बैंक यह कहकर ख़ारिज नहीं कर
पाएगी की यह बैंक के कर्मचारी नहीं हैं.जैसा की बैंक ने अबतक इन सफाई कर्मचारियों
के साथ किया है.
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Baroda
up gramin bank bupgb good news for sweepers big win of airrbea high court order
on pf for cleaners
4 comments
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ReplySir main dhobha bank me 4 sal se safhai karmi ka kam karta hoon lekin ek month me hamko 1955 Rupees milta hai
ReplyAbhi tak lagi nahi hua
ReplyYe sab abhi tak kuchh nhi hua hai s.
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