15000 करोड़ घाटे वाले India
Post के साथ RRBs को मर्ज करने की तैयारी में सरकार- रिपोर्ट
क्या में एक ऐसे वक्त में जब सरकार खुद यह कहकर
बैंको को खत्म कर रही है की देश में 5 से ज्यादा सरकारी बैंको की जरुरत ही नहीं है, इंडिया
पोस्ट को कमर्शियल बैंक बनाना खुद सरकार की नीतियों के खिलाफ नहीं है ?
Indianpsubank.in - वित्तीय बर्ष 2019
(FY2019) में 15000 करोड़ के घाटे में रहने वाले इंडिया पोस्ट (India Post) को पुनर्जिवित करने के लिए सरकार
ने जो प्लान बनाया है उसके हिसाब से देश की 45 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको (RRBs) को इंडिया पोस्ट (India Post) के दायरे
में लाने को लेकर सरकार के भीतर चर्चा चल रही है. पिछले कुछ सालों में सरकार के तमाम
प्रयासों बाबजूद देश के अधिकतर संस्थान घाटे में आ गयें हैं. इंडिया पोस्ट (India
Post) भी इस हवा से अछूता नहीं रहा. और Financial Year 2019 में इंडिया पोस्ट (India
Post) को 15000 करोड़ का घाटा हुआ.
जहाँ एक तरफ सरकार पहले से मज़बूत स्थिति में मौजूद सरकारी बैंको
का या तो विलय कर रही है या उन्हें बेचने की तैयारी में है. ऐसे में भी कैसे सरकार
ने इंडिया पोस्ट (India Post) को उबारने के उद्देश्य से ही India Post
Payments Bank (IPPB) की शुरुआत कर दी?
सरकार का लगातार कहना है की मौजूदा वक्त में देश को 5 से ज्यादा सरकारी बैंको की जरुरत नहीं है. ऐसे में India Post Payments Bank (IPPB) की शुरुआत करना कितना सही फैसला था. यह तो शायद सरकार ही बता
सकती है. कहीं ना कहीं सरकार निजीकरण के अपने पुराने अजेंडे पर आगे बढ़ रही है. और सरकार
का मौजूदा फैसला भी शायद इसी रास्ते जाने की शुरुआत मात्र है.
क्या है प्लान ?
दरअसल सरकार जिस योजना पर काम कर रही है,
उसमे अब क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको (RRBs) को
भी शामिल कर लिया गया है. फाइनेंसियल एक्सप्रेस अखवार ने इस सम्बन्ध में अपनी एक रिपोर्ट
प्रकाशित की है. जिसमें उन्होंने सरकार के प्लान के बारें में विस्तार से बताया है.
सरकार के मुताबिक अब इंडिया पोस्ट (India
Post) को उबारने का रास्ता यही है की उसे एक कमर्शियल बैंक
(Commercial Bank) का दर्जा देकर बैंक के रूप में स्थापित किया जाए?
क्या सच में एक ऐसे वक्त में जब सरकार खुद यह कहकर बैंको को
खत्म कर रही है की देश में 5 से ज्यादा सरकारी बैंको की जरुरत ही नहीं है,
इंडिया पोस्ट (India
Post) को कमर्शियल बैंक (Commercial Bank) बनाना खुद सरकार
की नीतियों के खिलाफ नहीं है ?
सरकार की जो योजना है उसके मुताबिक सरकार देश की 45 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको (RRBs) और इंडिया पोस्ट (India Post) का विलय
करके एक नयी कमर्शियल बैंक (Commercial Bank) बंनाने की है. सरकार प्रस्तावित कंपनी के माध्यम
से प्रस्तावित बैंक पर अपना नियंत्रण खत्म कर देगी। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
(RRB) इस प्रस्तावित बैंक की सहायक बैंक के रूप के काम करेगा। और नया-
नवेला India Post Payments Bank (IPPB) भी इसी कंपनी की सहायक कम्पनी के रूप में काम करेगा।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको (RRBs) के अस्तित्व पर संकट
सरकार की योजना अगर अमल में आती है तो उससे देश की 45 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको (RRBs) के अस्तित्व पर ही संकट खड़ा हो जाएगा। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों
की स्थापना 26 सितंबर 1975 को
पारित अध्यादेश (RRB Ordinance) और आरआरबी अधिनियम 1976
(RRB Act 1976) के तहत कृषि और अन्य
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए पर्याप्त बैंकिंग और ऋण सुविधा प्रदान करने के लिए की गई
थी। इसके परिणामस्वरूप 2 अक्टूबर 1975 को
Narshimham
Committee Working Group की
सिफारिश पर गाँधी जयंती के मौके पर पांच क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना की गई
थी।
देश की 45 RRB इसी RRB ACT 1976 से नियंत्रित होती हैं. इसके अलाबा RRBs
पर बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 (BR Act
1949) और RBI
ACT 1934 भी लागू होतें हैं.
अगर इनको इंडिया पोस्ट (India Post) के दायरे में लाया जाता है इनकी पहचान पर गंभीर खतरा पैदा हो सकता है. और
जिस उद्देश्य से इनकी स्थापना हुई है वो मूल उद्देश्य ही खत्म हो सकता है. अभी तक ग्रामीण
बैंको की सबसे बड़ी यूनियन अरेबिया का रुख इस खबर पर नहीं आया है. लेकिन अरेबिया का
जो पुराना रुख है उसके मुताबिक अरेबिया ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको (RRBs) को आपस में विलय करके स्वतंत्र नेशनल रूरल बैंक ऑफ़ इंडिया (NRBI) की मांग की है.
RRBs
का वर्तमान स्वरुप
आपको बता दें, वर्तमान समय में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको (RRBs) के तीन मालिक हैं. जिसमे सबसे बड़ा मालिक
केंद्र सरकार है जिसके पास क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको (RRBs) की
कुल 50 प्रतिशत
हिस्सेदारी है. इसका दूसरा मालिक स्पोंसर्स बैंक है जिसके पास क्षेत्रीय ग्रामीण
बैंको (RRBs) की 35 प्रतिशत हिस्सेदारी होती है. और तीसरा मालिक सम्बंधित राज्य
सरकार है जिसके पास इसकी 15 प्रतिशत हिस्सेदारी होती है.
ग्रामीण बैंक बेहतर स्थिति में
आरआरबी (RRB) इंडिया पोस्ट (India Post) की तुलना में वित्तीय रूप
से अपेक्षाकृत मज़बुत स्थिति में हैं, अनुमान है कि वित्त वर्ष 2015 में इंडिया पोस्ट (India
Post) को सबसे अधिक हानि 18,255 करोड़ रुपये (किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई द्वारा उच्चतम)
हुई है। आरआरबी (RRB)
ने वित्त वर्ष 2019 में 1,501 करोड़
रुपये के शुद्ध लाभ (Net Profit) की तुलना में वित्त वर्ष 19 में 548 करोड़ रुपये का घाटा (Net
Loss) दर्ज किया। 31 मार्च, 2019 तक RRB की बकाया अग्रिम 2.8 लाख करोड़ रुपये थी, जो वर्ष में 11.3% थी। उनके ऋण का लगभग 91% कृषि, एमएसएमई, शिक्षा और आवास जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में थे।
शाखा नेटवर्क एवं मैनपॉवर
आपको बता दें देश में वर्तमान समय में कुल 45 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) काम कर रहें हैं. जिनके पास देश के कोने कोने में 14000 शाखाओं (Branches) का विशाल नेटवर्क है. एक अनुमान के मुताबिक वर्तमान समय में क्षेत्रीय
ग्रामीण बैंको (RRBs) में लगभग एक लाख कर्मचारी काम कर रहें हैं.
वहीं अगर इंडिया पोस्ट (India Post) की बात की जाये तो इसके पास
पुरे देश में 1 लाख 56 हज़ार
पोस्ट ऑफिस (Post office) का
नेटवर्क है. सरकार की नज़र इंडिया पोस्ट (India Post) और RRBs
के इसी विशाल नेटवर्क पर पर टिकी हुई है.
हालाँकि इंडिया पोस्ट (India
Post) को उबारने के लिए सरकार ने अबतक जो भी प्लान बनाए हैं उनसे इंडिया
पोस्ट (India Post) को फायदा कम नुकसान ज्यादा हुआ है. यहाँ तक
की सिर्फ इंडिया पोस्ट (India Post) ही नहीं सरकार ने जिस भी
PSU
को उबारने के लिए प्लान बनाए वो सब डूबते चले गए. और अंत में
सरकार ने उन्हें या तो बेच दिया या बेचने की
प्रक्रिया में है. इसलिए इस फैसले के पीछे सरकार की क्या मंशा है इसका अंदाजा
लगाना मुश्किल काम है.
लेखक एक स्वतंत्र विचारक है.
चंद्र पाल सिंह
(लेखक)
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