Bank Privatisation- सभी सरकारी बैंक होंगे प्राइवेट- खत्म होगा, Banking Companies (Acquisition and Transfer of Undertakings) Act, 1970
www.indianpsubank.in: सरकार ने सरकारी बैंकों (PSU Banks) के निजीकरण (Privatisation) की अपनी पुरानी पॉलिसी में बड़ा बदलाव किया है। अभी तक सैद्धान्तिक रूप से निजीकरण (Privatisation) के बाद भी सरकारी बैंकों (PSU Banks) में 26% हिस्सेदारी रखने की की बात सरकार की तरफ से कही जा रही थी। लेकिन अब इस पॉलिसी में सरकार ने बड़ा शिफ़्ट किया है। अब सरकार सभी सरकारी बैंकों (PSU Banks) में अपनी 100% हिस्सेदारी बेच देगी।
खत्म होगा Banking Companies (Acquisition and Transfer of Undertakings) Act, 1970
आपको बता दें, अभी Banking Companies (Acquisition and Transfer of Undertakings) Act, 1970 लागू है जिसके तहत सरकारी बैंकों (PSU Banks) में सरकार की हिस्सेदारी 51% से कम नही हो सकती। लेकिन अब मीडिया में आई जानकारी के मुताबिक सरकार ने अपनी पॉलिसी को बदल दिया है। और सरकार अब सभी सरकारी बैंकों (PSU Banks) से पूरी तरह बाहर निकलना चाहती है। लेकिन इसके लिए सरकार की राह में सबसे बड़ी बाधा Banking Companies (Acquisition and Transfer of Undertakings) Act, 1970 है। सरकार ने अब इस बाधा को भी दूर करने का निर्णय ले लिया है। दरअसल सरकार शीतकालीन सत्र में ही Banking Laws Amendment Bill 2021 पेश करना चाहती थी। लेकिन किन्ही कारणों से सरकार इस बिल को शीतकालीन सत्र में पेश नही कर सकी। लेकिन अब सरकार आगामी सत्र में Banking Laws Amendment Bill 2021 पेश करने जा रही है। जिससे सरकार को अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने की पूरी आजादी मिल सके।
दो बैंको और एक बीमा कंपनी का होगा निजीकरण
फरवरी 2022 में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman) ने दो बैंको और एक बीमा कंपनी के निजीकरण (Privatisation) का एलान किया था। लेकिन सरकार ने अधिकृत रूप से अबतक इन बैंको के नाम नही बताए हैं। लेकिन मीडिया में आई खबरों के मुताबिक सरकार ने Bank Of India (बैंक ऑफ इंडिया) और Indian Overseas Bank (इंडियन ओवरसीज बैंक) के निजीकरण (Privatisation) का फैसला ले लिया है। सरकार पहले ही IDBI Bank के निजीकरण (Privatisation) की प्रक्रिया चला रही है
छोटे बैंको के बड़े बैंको में विलय- क्या आसान करेगा निजीकरण?
सरकार बैंको (Banks) के निजीकरण (Privatisation) से छोटी बैंको को बड़ी बैंको में विलय पहले ही कर चुकी है। कुछ लोगो का मानना है इससे सरकार को बैंको का निजीकरण (Privatisation) करने में आसानी होगी। क्योंकि कई छोटी बैंको की बैलेंस शीट उतनी अच्छी नही थी। अगर सरकार उसी हालत में बैंको का निजीकरण कर देती तब शायद सरकार को उसकी सही कीमत ना मिल पाती। और हो सकता है कुछ बैंको को खरीदने में कोई भी दिलचस्पी ही ना लेता। इसलिए सरकार ने पहले छोटी छोटी बैंको का बड़ी बैंको में विलय किया। और अब सरकार उनके निजीकरण की प्रक्रिया पर आगे बढ़ने को तैयार दिख रही है।