अनुकम्पा नियुक्ति आदेश 5 साल पीछे से लागू
कर पेश की नयी मिशाल:- महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक
लगातार
4 सालों तक चली रस्साकशी के बाद न्यायालय के कड़े रूख से डरे बैंकिग डिवीजन के अधिकारियों
ने मजबूरन 31 दिसम्बर 2018 को ग्रामीण बैंकों के लिए भी केन्द्र सरकार की उसी अनुकम्पा
नियुक्ति योजना को लागू कर दिया जिसे आज से 5साल पहले राष्ट्रीयकृत बैंकों के लिए लागू
किया गया था। लेकिन आदेश जारी करने में भारत सरकार और नाबार्ड ने एक खेल करते हुए पुराने
मामलों में नौकरी की सारी संभावनाओं पर पानी फेरने की कुत्सित कोशिश की. जिसका परिणाम
यह हो रहा है कि उच्च न्यायालय ने मृत कर्मचारी के जिस आश्रित की आर्थिक परेशानी घटाने
के लिए भारत सरकार को यह योजना ग्रामीण बैंकों के लिए लागू करने का फरमान सुनाया था.
उसे कोर्ट जाने की सजा दे दी गयी।
कोर्ट आदेश के बाद भी नहीं मिली नौकरी
बड़ौदा
उ0प्र0ग्रामीण बैंक ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के बेटे जितेन्द्र को कोर्ट आदेश के
बाद भी नौकरी देने से मना कर दिया है। जिसके लिए बैंकिग सचिव के विरुद्ध लम्बित अवमानना
याचिका में इस बिन्दु को भी जोड़ा जा रहा है। लेकिन बावजूद इसके एक ग्रामीण बैंक ऐसा
है जिसने फिलहाल अनुकम्पा नियुक्ति के मुद्दे पर भारत सरकार, नाबार्ड और प्रायोजक बैंकों
को भी आइना दिखाने का काम किया है। महाराष्ट्र राज्य के महाराष्ट्रा ग्रामीण बैंक ने
30 मई 2019 को अपनी बैंक में लागू की गयी अनुकम्पा नियुक्ति योजना में अगस्त 2014 की
तिथि से ही इस योजना को लागू करने का परिपत्र जारी कर दिया है। अरेबिया महासचिव काम0
एस0 वेकटेश रेड्डी का कहना है कि महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक ने योजना को सही तरीके से
लागू किया है। क्योंकि योजना में 5 साल तक पुराने मामलों पर विचार करने का अधिकार प्रबन्धन
को दिया गया है।
ग्रामीण बैंक कर रहे मनमानी
अन्य
ग्रामीण बैंकों ने मनमाने ढ़ग से और नकारात्मक भाव से इस योजना को लागू किया है। अरेबिया
ने इस परिपत्र को जारी करने वाले श्री एम0ए0 कबरा को उनके इस मानवीय कृत्य के लिए संगठन
की ओर से बधाई दी है। गौरतलब है कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में लगभग 5 हजार मामले
पूरे देश की ग्रामीण बैंकों में लम्बित चल रहे हैं। सभी मृतक कर्मचारियों के परिवार
को इंतजार था कि कब भारत सरकार से यह स्कीम ग्रामीण बैंकों में लागू हो और उनके परिवार
की गाड़ी, नौकरी पाने के बाद फिर से पटरी पर दौड़ने लगे। मानवीय संवेदना से जुड़े इस मामले
की इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जोरदार पैरवी करने वाले श्री ओ0पी0पाण्डेय ने न्याय
यात्रा को बताया कि इस मामले में अधिकारी जानबूझ कर माननीय न्यायालय के आदेश की अवमानना
कर रहे हैं। जंहा भारत सरकार ने स्कीम की प्रभावी तिथि को लेकर संदेह पैदा किया तो
नाबार्ड ने अपने आदेश में उसे और बढ़ा दिया तथा ग्रामीण बैंकों के चेयरमैनों ने पिछले
मामलों को स्वीकार करने से इंकार करके यह दिखा दिया कि अफसरशाही का असली चेहरा क्या
है।
अवमानना के डर से किया गुमराह करने वाला आदेश
इस
मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के अधिवक्ता श्री ओ0पी0 पाण्डेय द्वारा
दाखिल की गयी रिट याचिका पर माननीय न्यायालय ने सरकार को प्रायोजक बैंकों के समान अनुकम्पा
नियुक्ति की योजना ग्रामीण बैंकों के लिए लागू करने का आदेश दिया था और जिसका समय से
पालन न किये जाने पर उसी न्यायालय से श्री राजीव कुमार सचिव बैंकिग डिवीजन को अवमानना
नोटिस भी जारी कराया था। नोटिस जारी होने के एक सप्ताह के अन्दर ही भारत सरकार वित्त
मंत्रालय बैंकिग डिवीजन के अधिकारियों ने अनुकम्पा नियुक्ति का आदेश ग्रामीण बैंकों
के लिए जारी करवा दिया था। लेकिन आनन फानन में जारी किये गये आदेश में ऐसा कुछ लिख
दिया गया जो कि बीते 5 साल में ग्रामीण बैंकों में मृतक आश्रितों की उम्मीदों पर पानी
फेरने के लिए काफी है। अपनी बेंइंतहा गरीबी के बाद भी न्याय के लिए संघर्ष के इस दौर
में लगातार एक साल से न्यायालय का चक्कर लगा कर अनुकम्पा नियुक्ति की स्कीम ग्रामीण
बैंकों के लिए जारी करवाने वाले युवा जितेन्द्र के जज्बे पर न्याय यात्रा परिवार को
गर्व है। ग्रामीण बैंकों के हजारों मृतक आश्रित परिवारों के लिए रोशनी की एक किरण बन
चुके इस युवा का कहना है कि बड़ें अधिकारियों में इस कदर की संबेदनहीनता हमारी लोकतांत्रिक
व्यवस्था को कमजोर करने वाला है।
जंग अभी भी जारी है.
वर्तमान
में अमेठी जनपद के जायस तहसील के निवासी इस युवा का कहना है कि न्याय के इसं संघर्ष
को अन्तिम मुकाम तक ले कर जाया जायगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहे अवमानना मामले
में नाबार्ड और बड़ौदा उ0प्र0ग्रामीण बैंक के प्रबन्धन पर भी गाज गिर सकती है क्योंकि
भारत सरकार के जिस आदेश से वर्ष 2014 से एक बैंक अनुकम्पा नियुक्ति दे सकती है तो अन्य
ग्रामीण बैंकों में कैसे इस तिथि से नौकरी देने से इंकार किया जा सकता है।
देश की लगभग सभी बैको ने अनुकंपा नियुक्ति के आदेश को 2019 से लागु कर कोर्ट के आदेश की आत्मा को ही मार दिया है। महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक को छोड़करे देश की अन्य सभी बैको ने अनुकंपा नियुक्ति के आदेश को 2019 से लागु किया है। जिससे 2014 से 2019 के वे सभी दावेदार अपात्र हो गये जो असल मे अनुकंपा नियुक्ति के असल दावेदार थे। जिसके बाद 2014 से 2019 के बीच के असल दावेदार एक बार कोर्ट की शरण में चले गये।
1105- मामला एक बार फिर से कोर्ट मे
देश की लगभग सभी बैको ने अनुकंपा नियुक्ति के आदेश को 2019 से लागु कर कोर्ट के आदेश की आत्मा को ही मार दिया है। महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक को छोड़करे देश की अन्य सभी बैको ने अनुकंपा नियुक्ति के आदेश को 2019 से लागु किया है। जिससे 2014 से 2019 के वे सभी दावेदार अपात्र हो गये जो असल मे अनुकंपा नियुक्ति के असल दावेदार थे। जिसके बाद 2014 से 2019 के बीच के असल दावेदार एक बार कोर्ट की शरण में चले गये।
मामला
फिर से कोर्ट में
अनुकम्पा नियुक्ति पर कोर्ट से जीत के बाद एकबार मामला फिर
से कोर्ट में है. दरअसल बैंको ने अनुकम्पा नियुक्ति को 2014
से लागू न कर 2019 में जिस डेट में बैंक के बोर्ड ने सर्कुलर पास किया उस डेट
को कट ऑफ डेट माना है. जिससे अनुकम्पा नियुक्ति के असली हक़दार जो इस लादयो को
कोर्ट में लड़ रहे थे और जीते भी थे, कोर्ट के फैसले का लाभ पाने से वंचित रह गए. दरअसल
महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक को छोड़कर बाकि सभी बैंको ने 2014
से 2019 के बीच अनुकम्पा नियुक्ति के असली हक़दारों को न्याय नहीं
दिया गया. इसीलिए बैंक की यूनियन के अप्रत्यक्ष सहयोग से रिट दायर करने वाले और
केस जीतने वाले राय बरेली के जीतेन्द्र कुमार एक बार फिर से कोर्ट की शरण में चले गए. मामला एक बार फिर से कोर्ट में है.
और इस बात की पूरी उम्मीद है नतीजा असली लाभार्थियों के पक्ष में ही आएगा। जब इस
सम्बन्ध में बैंक यूनियन के बड़े नेता शिव करन द्विवेदी से पूछा गया तो उन्होंने
बताया फैसला हर हाल में हमारे पक्ष में आना है. बस दुबारा मामला कोर्ट में जाने से
यह मामला अब आउट लेट हो गया है. और जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आता इन लोगो के लिए
न्याय की कोई उम्मीद नहीं है.
9 comments
Click here for commentsक्या कोई maharashtra gramin bank का अनुकम्पा का circular का pdf दे सकते है
Replyहमें निकाल दिया नौकरी से
Replyमे राजस्थान से हु मेरे पिताजी भी बैंक में कार्यरत थे हमारा केस भी 10 साल से जयपुर हाई कोर्ट में पेंडिंग ह जिस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा हे कोई मुझे इसके लिए सही सुझाव दे सकता हे
Replyआम्हाला पण घेऊन काडून टाकले सर 😓
ReplyBilkul anukampa niyukti milna chahiye.mere papa bhi Garmin bank bhaisma dist korba chhattisgarh me peon the.unka death 2009 me hua tha.lekin mujhe Abhi tk anukampa niyukti me naukri nhi Mila hai.mai 12pass hu.berojgar hu.koi to madad Kro .
Reply2010 me hamare bhi papa ki death ho gai h
Reply2009 mein mere Papa Ki Maruti ho Gaye kya unko parivar ko naukari Nahin Milega branch Lal darwaja ghazipur Uttar Pradesh
Replyमैं उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में रहता हूं मेरे पिताजी बैंक में जॉब करते थे 27 अप्रैल 2014 को उनकी डेथ हो गई इलाहाबाद हाईकोर्ट में मेरा केस चल रहा है मगर मुझे कोई न्याय नहीं मिला मैं जाता हूं मुझे भी न
ReplySaurabh sir tumhi kuthe asta. sampark kara
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