44 Labour Laws सिमटेगें 4 श्रम संहिता में.
केंद्र सरकार 44 श्रम कानूनों का विलय कर उन्हें चार श्रम संहिताओं में
तब्दील करने के लिए संसद में नया श्रम विधेयक पेश करेगी। इस बात का फैसला गृहमंत्री अमित
शाह की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया जिसमें अन्य के अलावा वित्त मंत्री
निर्मला सीतारमन, रेल तथा वाणिज्य व उद्योग मंत्री
पीयूश गोयल के अलावा श्रम राज्यमंत्री संतोष गंगवार भी शामिल थे। उन्होने बताया कि
चार श्रम संहिताओं का संबंध वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक सुरक्षा तथा कल्याण नामक चार श्रेणियों से है। मसौदा विधेयक पर पहले केंद्रीय
मंत्रिमंडल से मंजूरी ली जाएगी।
सत्र के दूसरे
सप्ताह में पेश होगा बिल
उसके बाद उसे आगामी लोकसभा सत्र के
दौरान दूसरे सप्ताह में पेश किए जाने की संभावना है। फैसले के तहत उम्मीद की जाती
है कि सामाजिक सुरक्षा से संबंधित विभिन्न कानून, जिनमें कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान कानून, कर्मचारी राज्य बीमा निगम कानून, मातृत्व लाभ कानून, भवन एवं अन्य निर्माण कर्मचारी कानून तथा कर्मचारी
क्षतिपूर्ति कानून शामिल हैं, का आपस में विलय कर एक कानून बनाया
जाएगा। इसी प्रकार औद्योगिक सुरक्षा एवं कल्याण से संबंधित विभिन्न कानूनों, जिनमें फैक्ट्री एक्ट, खान कानून तथा गोदी कर्मचारी ( सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कल्याण ) कानून शामिल हैं, को भी आपस में मिलाकर एक कानून का रूप दिया जाएगा। न्यूनतम
वेतन कानून, वेतन भुगतान कानून, बोनस एक्ट तथा समान परिलब्धि अधिनियम जैसे वेतन संबंधी विभिन्न कानूनों
को भी एक में मिलाया जाएगा। इसी प्रकार औद्योगिक संबंधों से संबंधित श्रम संहिता
या कानून में औद्योगिक विवाद कानून, 1947 ट्रेड यूनियन एक्ट, 1926 तथा औद्योगिक सेवायोजन स्थायी आदेश कानून 1946 का भी विलय किया जाएगा। श्रम मंत्रालय जल्द ही वेतन संहिता
विधेयक के मसौदे को मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के समक्ष रख सकता है। मंत्रिमंडल से
मंजूरी मिलने के बाद इस विधेयक को संसद के चालू सत्र में रखा जाएगा।
समान न्यूनतम वेतन
का रास्ता होगा साफ़
एक सूत्र ने कहा कि मंत्रालय संसद
के मौजूदा सत्र में इस विधेयक को पारित कराना चाहता है। संसद से इस विधयेक को
मंजूरी मिलने के साथ ही देशभर में श्रमिकों के लिए समान न्यूनतम वेतन देने का
रास्ता साफ हो जाएगा। विधेयक में प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार रेलवे और
खनन समेत कुछ क्षेत्रों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करेगी, जबकि राज्य अन्य श्रेणी के रोजगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी
निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र होंगे। विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि न्यूनतम
मजदूरी में हर पांच साल में संशोधन किया जाएगा।
2017 में पेश किया गया
था विधेयकः
वेतन संहिता विधेयक को 10 अगस्त 2017 को लोकसभा में पेश किया गया था।
इसके बाद 21 अगस्त 2017 को यह बिल संसद की स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया गया था।
कमेटी ने 18 दिसंबर 2018 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। 16वीं लोक सभा के भंग होने के कारण यह पास नहीं हो पाया था।
मंत्रालय को अब विधेयक को संसद के किसी भी सदन में नए सिरे से पेश करने के लिए
केंद्रीय मंत्रिमंडल की अनुमति की जरूरत होगी। मंत्रिमंडल वेतन संहिता विधेयक पर
अगले महीने मंजूरी दे सकता है। श्रम मंत्रालय इस विधेयक को संसद के मौजूदा सत्र
में ही पारित कराना चाहता है।
चार श्रेणियों में
मिल जाएंगे 44 पुराने कानून
वेतन संहिता विधेयक सरकार की ओर से
परिकल्पित चार संहिताओं में से एक है। ये चार संहिताएं पुराने 44 श्रम कानूनों की जगह लेंगी। यह निवेशकों की सहूलियत और
आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए निवेश को आकर्षित करने में मदद करेंगी। ये चार
संहिताएं हैं- वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक सुरक्षा एवं कल्याण और औद्योगिक संबंध हैं। वेतन
संहिता विधेयक, मजदूरी भुगतान अधिनियम 1936, न्यूनतम मजदूरी कानून 1948 , बोनस भुगतान कानून 1965 और समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 की जगह लेगा।
महिलाओं की सुरक्षा
तय होगी
नए श्रम विधेयक में महिला
कर्मचारियों की सुरक्षा को सर्वोपरि माना गया है। विधेयक के अनुसार, महिलाओं के लिए कार्य अवधि सुबह छह बजे से लेकर शाम सात बजे
के बीच होनी चाहिए। अगर,
इस समयावधि के बाद महिलाएं काम करती हैं तो नियोक्ता को
उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। इसके अलावा, अवकाश के दिन महिला कर्मचारी को काम पर नहीं बुलाया जा सकता
है। अगर उनको बुलाना अत्यावश्यक हो तो नियोक्ता को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी
होगी।
कामगारों को फायदा
होगा
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के एक
शीर्ष अधिकारी ने बताया,
नए विधयेक में हमने श्रमिकों के
लिए कानून को आसान और बेहतर बनाने की कोशिश की है। हमने श्रमिकों और नियोक्ताओं के
अधिकारों के बीच संतुलन सुनिश्चित करने की भी कोषिष की है। इससे देशभर के श्रमिकों
को फायदा मिलेगा।
Labour-relations-amendment-bill-2017-govt-unlikely-to-slow-down-on-labour-reforms
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2 comments
Click here for comments4 labour code lagu ney hona chahiye.. 44 labour laws ko Har ek company ma lagu hona chahiye..
ReplyFreudenber nok prvt LMT. Work permanent karna key koi policy ney ha es company ka case hona chahiye
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