प्रतापगढ़ में लोकतांत्रिक व्यवस्था, अरेबिया की आदर्शो और दादा मुखर्जी के सपनों का क़त्ल

प्रतापगढ़ में लोकतांत्रिक व्यवस्था, अरेबिया की आदर्शो और दादा मुखर्जी के सपनों का क़त्ल

www.indianpsubank.in प्रतापगढ़ में दिनाँक 24 दिसंबर को बड़ौदा यूपी बैंक एम्प्लॉईज़ यूनियन की आमसभा हुई. जिसमे अरेबिया के तथाकथित बड़े नेता शिव करन द्विवेदी ने बहुत ही छोटा काम किया। शिव करन द्विवेदी और और कुछ अन्य रिटायर पदाधिकारियों जैसे एल. के. सिंह, एवं संयोजक विक्रम श्रीवास्तव  ने बिना चुनाव लोगो के भारी विरोध के बाद भी एम्प्लॉईज़ यूनियन की नयी कार्यकारिणी का गठन कर दिया। जिसके विरोध में सभा में मौजूद लोगो ने भारी नारेबाजी की. लोग विरोध स्वरुप जमीन पर बैठ कर नारेबाजी करने लगे. लेकिन इसके बाद भी काफी लोगो के चले जाने के बाद इन लोगों द्वारा उन्हीं पदाधिकारियों को फिर से चयनित कर दिया गया जिनके नाम पर पहले से ही भारी विरोध था.

15 मिनट बहस के बाद पांच बोलने का समय

सभा में मौजूद एक सूत्र के मुताबिक अध्यक्ष पद के प्रत्याशी रोहित गंगवार और महामंत्री पद के प्रत्याशी सुनील सिंह को बोलने का मौका नहीं दिया गया. लगभग 15 मिनट की बहस के बाद कार्यकारी महामंत्री के प्रत्याशी शिवम् द्विवेदी को पांच मिनट बोलने का मौका दिया। चुनाव समिति के पदाधिकारी जिन्हे तत्काल बनाया गया था उनमे से एक विमल शुक्ला ने इन नए पद के दावेदारों को अपनी बात रखने तक का मौका नहीं दिया। और बार- बार माइक छीनने का प्रयास किया।

लोकतंत्र और अरेबिया के आदर्शों का क़त्ल, नहीं हुआ इलेक्शन प्रकिर्या का पालन

बिना चुनाव और बिना आम सहमति के जिस तरह से पुराने पदाधिकारियों का चयन किया गया उसने लोकतांत्रिक मूल्यों और अरेबिया के आदर्शों का क़त्ल किया है, कोई भी इलेक्शन होता है तो सबसे पहले एक इलेक्शन कमेटी बनती है, फिर नॉमिनेशन मांगे जाते हैं, फिर नाम वापस लेने की प्रक्रिया होती है. चुनाव अधिकारी बनाये जाते हैं. उसके बाद सर्वसम्मत्ति से तय स्थान पर एक पूर्व निर्धारित समय पर इलेक्शन होता है. लेकिन यहाँ किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. यहाँ ना तो पहले कोई इलेक्शन कमेटी बनी, न नॉमिनेशन माँगे गए. ना ही स्थान को लेकर किसी से कोई चर्चा हुई.

कार्यक्रम के निर्धारित समय के बाद हुआ सेलेक्शन

सम्पूर्ण कार्यक्रम की जो समय सारणी थी उसके मुताबिक दोपहर 2 बजे से इलेक्शन या सिलेक्शन जो भी हो होना था. लेकिन तय समय के ख़त्म होने के बाद जब  दूर दूर से आये लोग वापस चले गए तब अचानक से पुराने पदाधिकारियों को एकबार फिर से ताज पहनाने का काम कर दिया गया. और यह सब शिव करन द्विवेदी जी, एल. के. सिंह जी, विक्रम श्रीवास्तव जी, शैलेन्द्र सिंह जी, विमल शुक्ला जी द्वारा किया गया.

 

राइटर

एक प्रत्यक्षदर्शी

 

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